जानिए क्या होती है एंजियोप्लास्टी? क्या परेशानियां हो सकती हैं और कौन सी सावधानियां बरतें

जानिए क्या होती है एंजियोप्लास्टी? क्या परेशानियां हो सकती हैं और कौन सी सावधानियां बरतें

सेहतराग टीम

आधुनिक समय में जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीं दूसरी तरफ से नए-नए रोग भी सामने आ रहे हैं। उन्हीं में से एक एंजियोप्लास्टी ये बीमारी काफी खतरनाक है। इस बीमारी की वजह से शुक्रवार को भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हुए हैं। उन्हें अगले दो दिन तक अस्पताल में ही रहना पड़ेगा। आपको बता दें कि एंजियोप्लास्टी ऐसी सर्जरी है, जिससे दिल से जुड़ी समस्याओं को ठीक किया जाता है। आइए जानते हैं कि ये क्या है, इसकी क्या प्रक्रिया है। इसके बाद क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

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क्या होती है एंजियोप्लास्टी ?

इसे बैलून एंजियोप्लास्टी और परक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनाल एंजियोप्लास्टी के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर संकुचित या बाधित हुई रक्त वाहिका को यांत्रिक रूप से चौड़ा करने की एक शल्य-तकनीक है।

किन वजहों से धमनियों में होती है रुकावट?

जिन वजहों से धमनियों में रुकावट पैदा होती है, उनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, निष्क्रिय जीवन-शैली, धूम्रपान, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, और हृदय सम्बन्धी बीमारियां शामिल हैं। इन तमाम रुकावटों को एंजियोप्लास्टी द्वारा दूर किया जाता है।

कैसे की जाती है एंजियोप्लास्टी ?

इस तकनीक के माध्यम से एक गाइड वायर के सिरे पर रखकर एक खाली और पिचके गुब्बारे को, जिसे बैलून कैथेटर कहा जाता है, को संकुचित स्थान में डाला जाता है। इसके बाद सामान्य रक्तचाप से 75-500 गुना अधिक जल दवाब का उपयोग करते हुए उसे एक निश्चित आकार में फुलाया जाता है। गुब्बारा धमनी या शिरा के अन्दर जमा हुई वसा को खंडित कर देता है और रक्त वाहिका को बेहतर प्रवाह के लिए खोल देता है। इसके बाद गुब्बारे को पिचका कर उसी तार (कैथेटर) द्वारा वापस खींच लिया जाता है।

एंजियोप्लास्टी के बाद हो सकती हैं ये परेशानियां

  • जहां से कैथेटर डाला गया, वहां जख्म होना या रक्तस्त्राव होना। 
  • जिनमें पहले से ही गुर्दे या मधुमेह की समस्या हो, उन्हें अन्य परेशानियां होना।
  • एंजियोप्लास्टी के दौरान दिए गए डाई से एलर्जी 
  • एंजियोप्लास्टी के कुछ महीनों बाद रक्त के थक्के बनना। 

एंजियोप्लास्टी के बाद बरतें ये सावधानियां

  • शारीरिक गतिविधियों से बचें।
  • घाव के साथ नहीं बरते लापरवाही।
  • नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करें।

 

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